गोरखपुर की वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला (तारामंडल) के खगोलविद अमर पाल सिंह ने जानकारी दी है कि 17 अक्टूबर 2024 को इस साल का सबसे निकटतम और भव्य पूर्ण सुपरमून दिखाई देगा, जिसे “सुपर हंटर मून” के नाम से जाना जाता है।
यह चंद्रमा न केवल आकार में बड़ा बल्कि सामान्य से 30% अधिक चमकीला नजर आएगा, जो खगोल प्रेमियों के लिए एक दुर्लभ और रोमांचक अवसर होगा।
नक्षत्र शाला में विशेष कार्यक्रम का आयोजन
इस अवसर पर गोरखपुर की नक्षत्र शाला में शरद पूर्णिमा के दिन एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस दौरान आम जनता के लिए निःशुल्क सूर्य दर्शन और रात्रि आकाश दर्शन का आयोजन किया जाएगा। नक्षत्र शाला परिसर में टेलिस्कोप की व्यवस्था की गई है, जहां लोग सुपरमून और अन्य खगोलीय घटनाओं का अवलोकन कर सकेंगे। यह कार्यक्रम पूरी तरह से निःशुल्क होगा और खगोल विज्ञान में रुचि रखने वाले सभी के लिए खुला रहेगा।
क्या है सुपरमून?
खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि सुपरमून वह स्थिति होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट आता है और पूर्णिमा होती है। इस स्थिति को खगोल विज्ञान में पेरिगी-सिज़ीगी कहा जाता है, जिसमें सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में होते हैं। चंद्रमा का आकार सामान्य से 14% बड़ा और 30% ज्यादा चमकीला दिखाई देता है।
सुपरमून का इतिहास
सुपरमून शब्द का सर्वप्रथम इस्तेमाल प्रसिद्ध खगोल शास्त्री सर रिचर्ड नोले ने 1979 में किया था। उनके अनुसार, यह स्थिति तब होती है जब चंद्रमा पृथ्वी से अपने निकटतम बिंदु (पेरिगी) के 90% के भीतर होता है। 17 अक्टूबर को रात 11:55 बजे चंद्रमा पृथ्वी से 351,519 किलोमीटर की दूरी पर होगा, जो इस साल का सबसे निकटतम पूर्ण चंद्रमा है। वहीं, 30 अक्टूबर को यह दूरी 406,161 किलोमीटर हो जाएगी जब चंद्रमा अपने अपोगी (सबसे दूर) स्थिति में होगा।
2024 के सुपरमून
अमर पाल सिंह ने बताया कि इस साल कुल चार सुपरमून हैं, जिनमें से 17 अक्टूबर का सुपरमून तीसरा और सबसे निकटतम है। बाकी सुपरमून की तारीखें इस प्रकार हैं:
• 19 अगस्त: 361,969 किलोमीटर
• 18 सितंबर: 357,485 किलोमीटर
• 15 नवंबर: 361,866 किलोमीटर
सुपरमून कैसे होता है?
चंद्रमा की कक्षा पूर्णतया गोल न होकर अंडाकार होती है, जिसके कारण हर महीने चंद्रमा एक बार पृथ्वी के सबसे निकट और एक बार सबसे दूर होता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के निकटतम बिंदु पर होता है, उसे पेरिगी कहा जाता है और जब सबसे दूर होता है, तो उसे अपोगी कहते हैं। जब यह निकटतम स्थिति पूर्णिमा के साथ मेल खाती है, तो इसे सुपरमून कहा जाता है।
गोरखपुर की जनता के लिए यह एक शानदार अवसर है कि वे सुपरमून के इस दुर्लभ दृश्य का आनंद नक्षत्र शाला के साथ साझा करें।