जम्मू-कश्मीर में गठित होने वाली नई सरकार में 13 नवनिर्वाचित चेहरे ऐसे होंगे जिनका राजनीतिक परिवारों से नाता है। यह लोग उन राजनीतिक परिवारों से आते हैं जिनके सदस्य अतीत में चुनाव जीत चुके हैं या चुनाव लड़ चुके हैं। इनमें नेशनल कॉन्फ्रेंस का योगदान सबसे ज्यादा है।
नेकां पर चुनाव से पहले भाजपा ने परिवारवाद को लेकर खूब निशाना साधा लेकिन फिर भी लोगों ने कई इस मुद्दे को दरकिनार करते हुए राजनीतिक परिवारों के लोगों को विधानसभा भेजा है। मुफ्ती परिवार को छोड़कर अन्य परिवारों से कोई न कोई चेहरा चुना गया है।
अवामी इत्तेहाद पार्टी के प्रमुख भी परिवारवाद की इस कड़ी में जुड़ गए हैं। उनका भाई खुर्शीद भी लंगेट विधानसभा सीट से चुने गए हैं। विधानसभा चुनाव में 42 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार के गठन को लेकर दावा पेश करेगी।
उमर कह चुके हैं कि सब प्रक्रियाएं समय से पूरी हुईं तो बुधवार को नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होगा। इसके बाद मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही सरकार पहली कैबिनेट बैठक कर अपना काम शुरू कर देगी।
विधायक दल के नेता उमर अब्दुल्ला खुद अब्दुल्ला खानदान से तीसरी पीढ़ी के विधायक हैं। उनके पिता फारूक अब्दुल्ला और दादा शेख मोहम्मद अब्दुल्ला दोनों जम्मू-कश्मीर के विधायक और मुख्यमंत्री रहे हैं।
तारिक हमीद कर्रा के पिता भी रहे हैं राजनीति में सक्रिय
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा श्रीनगर के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आते हैं। हालांकि उनके दादा गुलाम मोहिउद्दीन कर्रा कभी विधायक नहीं रहे, लेकिन 1954 में शेख मोहम्मद अब्दुल्ला से अलग होकर अपनी पार्टी – पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस बनाने तक उनका नेशनल कॉन्फ्रेंस में काफी प्रभाव रहा है। जेकेपीसीसी प्रमुख पूर्व में विधायक रह चुके हैं। वह 2014 में श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए लेकिन घाटी में 2016 की ग्रीष्मकालीन अशांति के दौरान नागरिक हत्याओं के विरोध में इस्तीफा दे दिया।
पिता के साथ सलमान सागर दूसरी पीढ़ी के नेता
दूसरी पीढ़ी के राजनेताओं में सलमान सागर शामिल हैं, जो हजरतबल सीट से विधानसभा के लिए चुने गए हैं। सलमान सागर के पिता अली मोहम्मद सागर विधायक के रूप में लगातार सातवीं बार रिकॉर्ड जीतकर विधानसभा में सत्ता पक्ष की अगली पंक्ति में बैठेंगे। वह दो बार बटमालू सीट और पांच बार खानयार क्षेत्र से चुने गए हैं।
पिता लोकसभा तो बेटा विधानसभा पहुंचा
मियां अल्ताफ अहमद कश्मीर की आदिवासी राजनीति का प्रमुख चेहरा हैं। वह वर्तमान में अनंतनाग-राजोरी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य हैं। उनका बेटा मियां मेहर अली कंगन से निर्वाचित हुए हैं। 67 वर्षीय लोकसभा सदस्य अगर इस साल की शुरुआत में लोकसभा के लिए नहीं चुने जाते तो वे लगातार छठी बार चुनाव लड़ रहे होते।
अल्ताफ अहमद मियां अल्ताफ के रिश्तेदार
अनंतनाग-राजोरी सीट से सांसद मियां अल्ताफ के एक रिश्तेदार अल्ताफ अहमद भी इस बार विधानसभा के लिए चुने गए हैं। उनके बहनोई जफर अली खटाना भी कोकेरनाग विधानसभा से विधायक रहे हैं।
पिता की विरासत को बढ़ाने आगे आए हिलाल
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष मोहम्मद अकबर लोन के बेटे हिलाल अकबर लोन सोनावारी सीट से चुने गए हैं। अकबर लोन 2002 से 2018 तक तीन बार सोनावारी सीट से विधायक रहे हैं। अब बेटा उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहा है।
नेकां के प्रवक्ता का बेटा भी लेगा विधायक की शपथ
नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य प्रवक्ता तनवीर सादिक भी नई सरकार में विधायक होंगे। तनवीर के पिता सादिक अली जड़ीबल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं। एक अन्य प्रत्याशी उड़ी से विधायक सज्जाद शफी पूर्व शिक्षा मंत्री मोहम्मद शफी उड़ी के बेटे हैं।
गुलाम रसूल के बेटे भी चुने गए विधायक
सोपोर विधानसभा क्षेत्र से नेशनल कॉन्फ्रेंस के टिकट पर जीत हासिल करने वाले इरशाद रसूल और पूर्व जेकेपीसीसी प्रमुख गुलाम रसूल कर के बेटे हैं। गुलाम रसूल ने भी चुनाव लड़ा था लेकिन वह बनिहाल सीट से हार गए।
वीरी पूर्व मंत्री, शेख अहसान पूर्व एमएलसी के बेटे
श्रीगुफवारा-बिजबिहाड़ा के विधायक बशीर अहमद वीरी पूर्व मंत्री अब्दुल गनी शाह वीरी के बेटे हैं, जबकि लाल चौक के विधायक शेख अहसान अहमद पूर्व एमएलसी शेख गुलाम कादिर परदेसी के बेटे हैं।
पीडपी के रफीक नेकां नेता का बेटा, लंगेट से खुर्शीद इंजी. रशीद के भाई
त्राल क्षेत्र से जीतने वाले पीडीपी विधायक रफीक अहमद नाइक, पूर्व स्पीकर और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता अली मोहम्मद नाइक के बेटे हैं और लंगेट से जीते खुर्शीद अहमद शेख लोकसभा सदस्य इंजीनियर रशीद के भाई हैं।