14 अगस्त 1947 की आधी रात को, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संसद भवन से भारत की स्वतंत्रता की घोषणा की। अपने प्रसिद्ध “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” भाषण के माध्यम से उन्होंने स्वतंत्र भारत का सपना दुनिया के सामने रखा। हर तरफ खुशी और उल्लास का माहौल था, और पूरा देश इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने संसद भवन में इकट्ठा हुआ था। यह वो क्षण था जब पहली बार भारत ने अपनी आजादी का जश्न मनाया।
आज, 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस के 78वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं। गोरखपुर में, उस ऐतिहासिक दिन को देखने वाले 35 हजार लोग आज भी मौजूद हैं। उनकी आंखों में 15 अगस्त 1947 की यादें अब भी ताजा हैं।
जिले के करीब 30 हजार लोगों ने उस दिन 10 से 13 वर्ष की उम्र में तिरंगे को सलामी दी थी। चारों तरफ उत्सव का माहौल था, लोग तिरंगे को लेकर सड़कों पर दौड़ रहे थे, और दीवारों पर आजादी के नारे लिखे गए थे।
रेलवे जीएम दफ्तर के सामने हुआ था पहला झंडारोहण
गोरखपुर में आजादी का पहला उत्सव रेलवे में भी धूमधाम से मनाया गया था। पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय में, 15 अगस्त 1947 को गोरखपुर महाप्रबंधक कार्यालय के सामने झंडारोहण किया गया था। रेलवे स्टेशन से चलने वाली सभी ट्रेनों में तिरंगा फहराया गया था। उस समय पूर्वोत्तर रेलवे को अवध तिरहुत रेलवे के नाम से जाना जाता था, और महाप्रबंधक की जगह एजेंट हुआ करते थे। स्वतंत्रता मिलने पर अवध तिरहुत रेलवे के एजेंट, जो अंग्रेज थे, ने झंडारोहण किया था।
भाप इंजन से चलती थीं ट्रेनें
उस समय पूर्वोत्तर रेलवे में मीटर गेज (छोटी लाइन) थी और भाप के इंजन से ट्रेनें चलती थीं। रेलवे कर्मचारियों ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने कार्यालयों को तिरंगों से सजाया था। रेलकर्मी एक-दूसरे को लड्डू और बताशा बांटकर खुशी का इजहार कर रहे थे।
केएल गुप्त की आंखों में जिंदा हैं आजादी के पल
108 वर्षीय एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त बताते हैं कि 15 अगस्त 1947 के दिन का जश्न आज भी उनकी आंखों में जिंदा है। उस दिन रेलवे स्टेशन पर लड्डू और बताशे बांटे जा रहे थे। लोग पटाखे फोड़ रहे थे और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे।
सुबह 8:30 बजे, गोरखपुर महाप्रबंधक कार्यालय के सामने तिरंगा फहराया गया। कर्मचारियों का उत्साह देखते ही बनता था। ऐसा लगा जैसे गुलामी की बेड़ियां अचानक कट गईं हों।
स्वतंत्रता दिवस पर स्कूलों में छुट्टी
90 वर्षीय रामअचल बताते हैं कि 15 अगस्त 1947 का दिन उनके लिए अविस्मरणीय था। उनकी उम्र उस समय 13 साल थी और वे स्कूल नहीं जाते थे। 15 अगस्त को गुरुजी ने पढ़ाई बंद कर दी और स्वतंत्रता का जश्न मनाने के लिए छुट्टी दी थी। उनके पिता ने उस दिन घर पर विशेष पूजा करवाई थी।
इमरती और गट्टा बांटकर व्यक्त की गई खुशी
93 वर्षीय सुरजन यादव को 15 अगस्त 1947 का दिन अच्छे से याद है। उस दिन, सुबह होते ही सभी लोग घरों से बाहर निकल आए थे। बच्चे सड़कों पर समूह बनाकर ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाते हुए दौड़ रहे थे। महिलाएं घरों से गीत गाते हुए मंदिरों की ओर निकल पड़ी थीं। देवी-देवताओं की पूजा के बाद बच्चों को प्रसाद बांटा गया। उस दिन आजाद भारत में सांस लेने की खुशी कुछ अलग ही थी।