अमेरिका में बसे भारतीयों के लिए अब अपने घर की यादें ताज़ा करने का एक कारण कम हो गया है। यह कारण है भारत का स्वादिष्ट गाय का दूध, जो अब अमेरिका में भी आसानी से उपलब्ध है।
गुजरात की आणंद डेयरी से 1946 में शुरू हुआ ‘अमूल’ ब्रांड अब अमेरिकी बाजारों में अपनी जगह बनाने की कोशिश में है। अमेरिका में अमूल ने मिशिगन मिल्क प्रोड्यूसर एसोसिएशन (एमएमपीए) के साथ साझेदारी की है, ताकि भारतीय दूध का वही स्वाद वहां के बाजारों में भी पहुंचाया जा सके।
अमेरिकी बाजार में अमूल का सफर
एमएमपीए, जो मिशिगन, इंडियाना, ओहायो, और विस्कॉन्सिन के चार राज्यों में डेयरी उत्पादकों का 108 साल पुराना सहकारी संगठन है, अब अमूल गोल्ड, अमूल शक्ति, और अमूल ताज़ा जैसे उत्पादों के लिए दूध की ख़रीद और पैकेजिंग कर रहा है।
अमूल के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने बताया, “अपनी गुणवत्ता और ब्रांडिंग के कारण अमूल तरल दूध के क्षेत्र में अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय के बीच बड़ी संभावना देखता है।”
अमेरिकी बाजार में दूध की खपत और चुनौतियाँ
हालांकि, अमूल के लिए अमेरिकी बाजार में जगह बनाना इतना आसान नहीं है। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले सात दशकों में अमेरिका में तरल दूध की दैनिक प्रति व्यक्ति खपत में गिरावट आई है। इसके अलावा, अमेरिका में लोग बिना लैक्टोज़ वाले दूध और पौधों से बने दूध जैसे बादाम, नारियल, और सोया दूध को भी प्राथमिकता दे रहे हैं।
अमूल की रणनीति और चुनौतियाँ
भारत में अमूल गोल्ड दूध में 6 फीसदी फैट होता है, जो अमेरिकी बाजार के मानकों से अधिक है। अमूल के लिए चुनौती यह थी कि अमेरिका के स्थानीय किसानों से खरीदे गए दूध में वही स्वाद पैदा किया जाए, जो भारत में अमूल दूध में होता है।
एमएमपीए के अध्यक्ष और सीईओ जो डिग्लियो बताते हैं, “हमने दूध से क्रीम को अलग कर, ज़रूरत के अनुसार स्किम्ड दूध में वसा की मात्रा बढ़ाई है ताकि अमूल गोल्ड और अमूल शक्ति दूध का वही स्वाद बना रहे।”
अमूल की संभावनाएँ और विस्तार
अमेरिकी बाजार में अमूल की संभावनाएं उज्ज्वल हैं। अमेरिकी क्रिकेट टीम को प्रायोजित कर, अमूल ने अपनी पहचान को और मज़बूत किया है। अमूल के जयेन मेहता का मानना है कि अमेरिकी उपभोक्ताओं को अधिक वसा वाले दूध का स्वाद पसंद आ सकता है, खासकर कॉफी में एक्स्ट्रा क्रीम पसंद करने वालों को।
डिग्लियो कहते हैं, “हम उच्च गुणवत्ता वाले दूध का इस्तेमाल करते हैं और अमूल ब्रांड के लिए भी वही गुणवत्ता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
अमेरिकी बाजार में अमूल का भविष्य
अमूल को अमेरिका में अपनी भारतीय पहचान से परे बढ़ते देखना एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि, इसके सामने अमेरिकी खाद्य मानकों के तहत उत्पादन बनाए रखने की चुनौती भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमूल की गुणवत्ता और ब्रांड की प्रतिष्ठा इसे अमेरिकी बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान दिला सकती है।
निष्कर्ष: भारतीय स्वाद को मिली अमेरिकी पहचान
अमूल का यह कदम भारतीय प्रवासियों को उनके घर की याद दिलाने के साथ-साथ, अमेरिकी बाजार में अपनी पहचान बनाने का भी एक प्रयास है। आने वाले समय में अमूल की यह यात्रा कितनी सफल होती है, यह देखना दिलचस्प होगा।