शेख़ हसीना और भारत के बीच संबंध
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की भारत में मौजूदगी ने नई चुनौतियों को जन्म दिया है। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता और अशांति के बीच, शेख़ हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं। यह स्थिति भारत के लिए एक कूटनीतिक संकट बन गई है, क्योंकि नई अंतरिम सरकार के साथ संबंध बनाए रखना अब कठिन होता जा रहा है।
भारत और बांग्लादेश: एक अहम साझेदारी
भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किलोमीटर लंबी सीमा साझा होती है। यह सीमा सुरक्षा, पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में विद्रोहियों की पनाहगाहों और सुरक्षा चिंताओं को लेकर महत्वपूर्ण है। दोनों देशों के बीच रिश्तों की बुनियाद सीमा सुरक्षा और आर्थिक संबंधों पर टिकी हुई है। शेख़ हसीना के 15 सालों के शासन में इन दोनों पहलुओं में गहरी प्रगति हुई थी।
भारत के लिए चुनौतियाँ और विकल्प
भारत ने बांग्लादेश को विभिन्न बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए सात अरब डॉलर से अधिक का कर्ज़ दिया है। शेख़ हसीना की सत्ता से बेदखली के बाद इन उपलब्धियों को सुरक्षित रखने की चुनौती सामने है। दिल्ली के लिए ढाका में नई अंतरिम सरकार के साथ काम करना आसान नहीं होगा, ख़ासकर जब बांग्लादेश में भारत के प्रति गुस्सा बढ़ रहा है।
‘पहले पड़ोसी’ नीति को झटका
हसीना सरकार के पतन के बाद भारत की ‘पहले पड़ोसी’ (Neighbourhood First) नीति को भी झटका लगा है। नेपाल और मालदीव के बाद बांग्लादेश ने भी भारत के दबदबे को चुनौती दी है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत अगर क्षेत्रीय शक्ति के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखना चाहता है तो उसे पड़ोसी देशों के नज़रिए को समझने की ज़रूरत है।
बीएनपी के साथ संबंध सुधारने की जरूरत
बांग्लादेश में विपक्षी पार्टी बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) के साथ भारत के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। बीएनपी नेता अब्दुल मोईन ख़ान ने कहा कि भारत ने अवामी लीग को एकमात्र सहयोगी मानकर एक बड़ी रणनीतिक गलती की। अगर आने वाले समय में बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होते हैं, तो बीएनपी के सत्ता में आने की संभावना है, जिससे दिल्ली को कूटनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
भारत के लिए आगे की राह
भारत को अब सोच-समझकर कदम बढ़ाने की जरूरत है। चीन इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए सक्रिय है, और बांग्लादेश में मालदीव जैसी स्थिति नहीं दोहराना भारत के हित में होगा। भारत को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और इस बात का ध्यान रखना होगा कि शेख़ हसीना की भारत में उपस्थिति अंतरराष्ट्रीय संबंधों में और जटिलताएं पैदा न करे।
निष्कर्ष
भारत और बांग्लादेश के बीच संबंध हमेशा से ही जटिल रहे हैं। शेख़ हसीना की मौजूदा स्थिति ने भारत के सामने कई नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। अब यह देखना होगा कि भारत इस कूटनीतिक संकट से कैसे निपटता है और अपने क्षेत्रीय प्रभाव को कैसे बनाए रखता है।
इस संपादित लेख में बांग्लादेश और भारत के बीच की राजनीति, कूटनीतिक चुनौतियाँ, और भविष्य की संभावनाओं को विस्तार से कवर किया गया है।