सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने के फैसले के विरोध में 21 अगस्त को दलित और आदिवासी संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। इस बंद का असर कई राज्यों में दिख रहा है, जहां विभिन्न सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
राज्यों में बंद का असर
बिहार:
बिहार में बंद का व्यापक असर देखा गया है। जहानाबाद में बंद समर्थक सड़कों पर नारेबाज़ी कर रहे हैं, जबकि आरा में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे लाइनों पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया। दरभंगा में बिहार संपर्क एक्सप्रेस को रोक दिया गया है, जिससे रेल सेवाएं प्रभावित हुई हैं।
झारखंड:
झारखंड में भी बंद का असर साफ दिखाई दे रहा है। बस सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं, और कई बसें बस अड्डों से बाहर नहीं निकल पाई हैं।
राजस्थान:
राजस्थान में भी बंद का व्यापक असर देखा जा रहा है। कई शहरों में दुकानें बंद हैं, और प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। कई जिलों में शिक्षण संस्थानों को बंद करने का आदेश दिया गया है। जयपुर, बाड़मेर, भरतपुर, डीग और अन्य जिलों में बंद को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।
उत्तर प्रदेश:
उत्तर प्रदेश में बंद का असर कम दिख रहा है, विशेषकर बीजेपी शासित क्षेत्रों में। लखनऊ में प्रशासन ने निषेधाज्ञा लागू कर दी है, और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
मध्य प्रदेश:
मध्य प्रदेश में प्रशासन ने बंद को देखते हुए विशेष एहतियात बरतने के निर्देश दिए हैं। ग्वालियर-चंबल इलाक़े में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं, और अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है।
नेताओं की प्रतिक्रिया
मायावती:
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संविधान संशोधन की मांग की है और बंद को शांतिपूर्ण तरीके से करने की अपील की है। उन्होंने कहा, “एससी-एसटी समाज में क्रीमी लेयर के फैसले को लेकर ग़ुस्सा है, और इसका शांतिपूर्ण तरीके से करारा जवाब देना है।”
किरोड़ी लाल मीणा:
भाजपा नेता किरोड़ी लाल मीणा ने इस बंद को ‘बेतुका’ बताया है और कहा कि जो लोग भारत बंद कर रहे हैं, वे राजनीतिक रोटियां सेकना चाहते हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया।
दीपक डंडोरिया:
वाल्मीकि समाज विकास संस्थान के अध्यक्ष दीपक डंडोरिया ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन किया और बंद के खिलाफ आवाज उठाई है।
प्रशासन की तैयारी
बंद को देखते हुए विभिन्न राज्यों में प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं। कई जिलों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है, और संवेदनशील इलाकों में विशेष सतर्कता बरती जा रही है।
ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान ने बताया कि प्रशासन सतर्क है, और कानून व्यवस्था को हाथ में नहीं लेने दिया जाएगा।
पूर्व की घटनाएं
2018 में भी दलित संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान मध्य प्रदेश में हिंसा हुई थी, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। इस बार प्रशासन विशेष एहतियात बरत रहा है ताकि किसी प्रकार की हिंसा न हो।