झांसी: बुंदेलखंड की समृद्ध लोक कला और संस्कृति को संजोने और युवाओं को इससे जोड़ने के लिए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (BU) ने एक अनूठी पहल की है। विश्वविद्यालय अब बुंदेली बोली, इतिहास, संस्कृति, परंपरा और कला से जुड़े सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स शुरू करने जा रहा है। इन कोर्सेज में 12वीं पास कोई भी युवा एडमिशन ले सकता है।
बुंदेली कला, संस्कृति, और साहित्य की देशभर में एक अलग पहचान है। इसे आम लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय प्रशासन ने जनवरी से एक साल के डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का निर्णय लिया है। फाइन आर्ट विभाग बुंदेली पेंटिंग, ड्राइंग और कला पर एक साल का डिप्लोमा कोर्स शुरू करेगा।
बुंदेली बोली पर सर्टिफिकेट कोर्स
फाइन आर्ट्स विभाग की समन्वयक, डॉ. श्वेता पाण्डेय, ने बताया कि डिप्लोमा कोर्स में सैद्धांतिक और प्रयोगात्मक दोनों प्रकार की पढ़ाई कराई जाएगी। सैद्धांतिक भाग में बुंदेली कला और पेंटिंग की विशेषताएं सिखाई जाएंगी, और साथ ही इन्हें बनाने के टिप्स भी दिए जाएंगे।
कला संकाय के डीन, प्रो. मुन्ना तिवारी के अनुसार, “विदेशों में इंडोलॉजी के तहत भारतीय कला, संस्कृति, इतिहास आदि पढ़ाया जाता है। उसी तर्ज पर, बुंदेली बोली का 6 महीने का सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू कराया जा रहा है।”
युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की यह पहल न केवल क्षेत्रीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह युवाओं को उनकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ने का एक उत्कृष्ट अवसर भी प्रदान करेगी।
इन कोर्सेज के माध्यम से विश्वविद्यालय का उद्देश्य स्थानीय युवाओं को बुंदेली संस्कृति की गहराई से अवगत कराना और उन्हें इसके महत्व को समझाना है, ताकि वे इसे संरक्षित करने और आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे सकें।