नई दिल्ली, 3 सितंबर 2024: भारत में भविष्य निधि (Provident Fund या PF) योजनाएं नौकरीपेशा लोगों के लिए वित्तीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण साधन हैं। इनमें मुख्यतः तीन प्रमुख योजनाएं हैं: सामान्य भविष्य निधि (GPF), कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), और लोक भविष्य निधि (PPF)। आइए जानते हैं इन तीनों योजनाओं में क्या अंतर है:
1. सामान्य भविष्य निधि (GPF)
- लाभार्थी: यह योजना केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू होती है। इसमें स्थायी और अस्थायी सरकारी कर्मचारी, और सेवानिवृत्त पेंशनधारी कर्मचारी शामिल हैं जो Contributory Provident Fund (CPF) में नहीं आते।
- संचालन: यह योजना केंद्र सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय द्वारा संचालित की जाती है।
- योगदान: कर्मचारी को अपनी मासिक तनख्वाह का कम से कम 6% GPF खाते में जमा करना होता है।
- ब्याज दर: जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही के लिए ब्याज दर 7.1% है।
2. कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)
- लाभार्थी: यह योजना निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए है। इसे Employees’ Provident Fund Organisation (EPFO) द्वारा संचालित किया जाता है।
- संचालन: Employees’ Provident Fund and Miscellaneous Provisions Act, 1952 के तहत लागू है।
- योगदान: कर्मचारियों को अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते (DA) का 12% EPF खाते में जमा करना होता है। एम्प्लॉयर भी समान राशि का योगदान करता है। इसमें से 8.33% Employee’s Pension Scheme (EPS) में जाता है और 3.67% EPF में जमा होता है।
- ब्याज दर: वित्तवर्ष 2024-25 के लिए ब्याज दर 8.25% है।
- निकासी: EPF खाते से आंशिक निकासी की अनुमति कुछ विशिष्ट कारणों जैसे घर खरीदना, इलाज, बेटी की शादी आदि के लिए होती है।
3. लोक भविष्य निधि (PPF)
- लाभार्थी: यह योजना किसी भी भारतीय नागरिक के लिए उपलब्ध है, चाहे वह सरकारी या निजी क्षेत्र में काम करता हो या नहीं।
- संचालन: यह योजना केंद्र सरकार द्वारा संचालित की जाती है।
- योगदान: प्रति वित्तवर्ष में न्यूनतम ₹500 और अधिकतम ₹1,50,000 जमा किए जा सकते हैं। यह राशि एक या अधिक किश्तों में जमा की जा सकती है।
- म्याच्योरिटी: PPF खाते की मैच्योरिटी अवधि 15 वर्ष होती है, जिसे पांच-पांच साल के ब्लॉक में बढ़ाया जा सकता है।
- निकासी: सातवें वित्तवर्ष से आंशिक निकासी संभव है।
- ब्याज दर: वर्तमान ब्याज दर 7.1% है, जो हर तिमाही केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है।
निष्कर्ष
इन तीनों योजनाओं का उद्देश्य रिटायरमेंट के बाद की वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना है, लेकिन इनके लाभार्थी, संचालन और योगदान के नियम अलग-अलग हैं। अपनी वित्तीय योजना को बेहतर बनाने के लिए सही योजना का चयन करना महत्वपूर्ण है।