डिजिटल पेमेंट से पारदर्शिता और सशक्तिकरण में मदद
भारत में डिजिटल पेमेंट सिस्टम के तेजी से प्रसार ने न केवल पारदर्शिता बढ़ाई है बल्कि लोगों का जीवन भी आसान बना दिया है। 31 साल की प्रियंका, जो एक ट्रांसवुमन उद्यमी हैं, डिजिटल पेमेंट का बेहतरीन उदाहरण पेश करती हैं। दिल्ली के एक छोटे से कमरे में रहकर उन्होंने चाय का वैश्विक कारोबार शुरू किया। प्रियंका बताती हैं कि डिजिटल इकोसिस्टम ने उन्हें सशक्त बनाया और यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के ज़रिए उन्होंने अपने व्यापार की सभी चुनौतियों का सामना किया।
डिजिटल पेमेंट का बढ़ता उपयोग
प्रियंका जैसी ही कई महिलाएं और छोटे व्यवसायी यूपीआई सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में 2024 में यूपीआई के माध्यम से 131 अरब ट्रांजेक्शन दर्ज़ हुए, जिनकी कुल क़ीमत 2.39 ट्रिलियन डॉलर है। हर रोज़ करोड़ों लोग डिजिटल भुगतान प्रणाली का उपयोग कर रहे हैं, जिससे न केवल आर्थिक लेन-देन आसान हुआ है, बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों के लिए भी सशक्तिकरण के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
महिलाओं के लिए वरदान बना डिजिटल पेमेंट
48 साल की अंजु, जो एक सिंगल मदर हैं, डिजिटल पेमेंट की सुविधा से बेहद खुश हैं। वह बताती हैं कि पहले बिचौलियों की वजह से उनकी दिहाड़ी सही समय पर नहीं मिल पाती थी, लेकिन अब डिजिटल पेमेंट से उन्हें समय पर और पूरी रकम मिलती है। डिजिटल पेमेंट की वजह से अब उन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से घर चलाने में आसानी हो रही है।
डिजिटल पेमेंट से आई वित्तीय स्वतंत्रता
आर्थिक विश्लेषक चार्ल्स असीसी का कहना है कि मोबाइल आधारित डिजिटल पेमेंट सिस्टम ने वित्तीय स्वतंत्रता को नए आयाम दिए हैं। डिजिटल पेमेंट प्रणाली के ज़रिए सरकार की योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुँचाया जा रहा है, जिससे ग्रामीण इलाकों में भी लोगों को सशक्त महसूस हो रहा है।
डिजिटल असमानता और चुनौतियां
भारत के डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर को कई देश अपना रहे हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। देश की करीब 70% आबादी तक डिजिटल सेवा की पहुंच नहीं है। इसके अलावा, महिलाएं पुरुषों की तुलना में 41% कम मोबाइल इंटरनेट का उपयोग करती हैं। भारत के 94% गांवों में कम से कम एक मोबाइल टावर है, लेकिन उसकी पहुंच हर कोने में नहीं होती है।
गुजरात का अकोदरा गाँव इस दिशा में डिजिटल होने वाला देश का पहला गाँव बना, जो कई अन्य गाँवों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करता है। झारखंड का आदिवासी गाँव लोढ़ाई, डिजिटल कनेक्शन की दिशा में काफ़ी संघर्ष कर रहा है। वहाँ के लोग 20 से 30 फ़ुट की ऊँचाई पर मोबाइल लटकाकर इंटरनेट की सुविधा जुटा रहे हैं।
भारत के डिजिटल मॉडल से दुनिया क्या सीख सकती है?
भारत के डिजिटल पेमेंट मॉडल की सफलता का प्रमाण यह है कि अब इसे श्रीलंका, मॉरिशस, भूटान, और नेपाल जैसे देशों में भी अपनाया जा रहा है। भारत की यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सर्विस को दुनिया के कई देशों में मान्यता मिल रही है।
भारत सरकार के पूर्व वित्तीय सलाहकार अशोक पाल सिंह कहते हैं, “दूसरे देश हमारे मॉडल से यह सीख सकते हैं कि तकनीक आधारित प्लेटफॉर्म और ओपन सिस्टम मॉडल कैसे बनाएं, और इसे सरकारी एकाधिकार से मुक्त रखते हुए बाज़ार के हिसाब से विकसित करें।”
डिजिटल पेमेंट: भविष्य की दिशा
भारत में डिजिटल पेमेंट का भविष्य उज्ज्वल है। हालाँकि, डिजिटल असमानता और इंटरनेट की पहुँच जैसी चुनौतियों को दूर करना अभी भी जरूरी है ताकि डिजिटल अर्थव्यवस्था का लाभ हर व्यक्ति तक पहुंच सके।