नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), जिसे देश की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं में गिना जाता है, वर्तमान में गंभीर फंड की कमी से जूझ रहा है। विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धुलिपुडी पंडित ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि जेएनयू अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए कुछ संपत्तियों को बेचने या किराए पर देने की योजना बना रहा है।
संपत्तियों का पुनर्विकास और किराए पर देने की योजना
कुलपति ने बताया कि गोमती गेस्ट हाउस और 35 फिरोजशाह रोड की संपत्तियों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत रीडेवलप कर किराए पर देने की योजना है। इससे विश्वविद्यालय को हर महीने ₹50,000 से ₹1 लाख तक की आय होने की उम्मीद है। इस योजना पर शिक्षा मंत्रालय के साथ चर्चा की जा रही है।
यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट्स से वसूला जाएगा किराया
इसके अलावा, विश्वविद्यालय परिसर में संचालित 12 इंस्टिट्यूट्स से भी किराया वसूलने की योजना बनाई जा रही है, जो अभी तक बिना किराए के ही संचालित हो रहे हैं। इस कदम से विश्वविद्यालय के वित्तीय बोझ को कम करने की उम्मीद है।
सोलर पैनल और अन्य उपायों पर विचार
बिजली के बढ़ते बिलों को कम करने के लिए जेएनयू में सोलर पैनल लगाने की भी योजना बनाई जा रही है। कुलपति ने स्पष्ट किया कि छात्रों की फीस बढ़ाना कोई विकल्प नहीं है, इसलिए इन वैकल्पिक कदमों को उठाना आवश्यक है।
केंद्र सरकार का वार्षिक अनुदान
जेएनयू को केंद्र सरकार द्वारा यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के माध्यम से हर साल करोड़ों रुपये का अनुदान मिलता है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय पर ₹5,59,76,20,371 रुपये खर्च किए हैं।
इस वित्तीय संकट से उबरने के लिए जेएनयू प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे ये कदम विश्वविद्यालय की आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।