पेरिस पैरालंपिक की शुरुआत और भारतीय ध्वजवाहक 28 अगस्त से पेरिस पैरालंपिक खेलों की शुरुआत हो चुकी है। ओपनिंग सेरेमनी में भारत की ओर से भाग्यश्री जाधव ने ध्वजवाहक के रूप में हिस्सा लिया। महाराष्ट्र की रहने वाली भाग्यश्री का जीवन संघर्षों से भरा रहा है, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
भाग्यश्री जाधव की कठिनाइयों भरी राह भाग्यश्री जाधव, जिनका जन्म महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के छोटे से गांव होनवादाज में 24 मई 1985 को हुआ, एक साधारण किसान परिवार से आती हैं। उनके पिता माधवराव और मां पुष्पाबाई को अक्सर सूखे की मार झेलनी पड़ी। मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं के चलते उनके पिता माधवराव ने भाग्यश्री की परवरिश का जिम्मा उनके चाचा आनंदराव जाधव को सौंपा।
भाग्यश्री ने बताया कि उनके संघर्ष का सबसे कठिन हिस्सा लोगों का नकारात्मक रवैया रहा। उनके अनुसार, “जब लोग आपको लगातार नीचा महसूस कराते हैं, तब आप सही मायनों में गरिमा और आत्मसम्मान की कीमत समझते हैं।”
जहर और उसके बाद का संघर्ष 2006 में, भाग्यश्री को जहर देकर मारने की कोशिश की गई, जिसके बाद वे दो हफ्ते तक कोमा में रहीं। हालांकि वे कोमा से बाहर आईं, लेकिन जहर के प्रभाव से उनकी कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। भाग्यश्री का दावा है कि उन्हें जहर उनके ससुर ने दिया था, लेकिन यह मामला अभी कोर्ट में लंबित है।
भाग्यश्री की फिजियोथेरेपिस्ट शुंभागी पटेल के अनुसार, उनकी विकलांगता को ठीक नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद भाग्यश्री ने हार नहीं मानी और जीवन को नए सिरे से शुरू किया।
खेलों में मिली प्रेरणा और सफलता डॉक्टरों की सलाह पर भाग्यश्री ने एक्सरसाइज शुरू की और खेलों में करियर बनाने का निर्णय लिया। उन्होंने जैवलिन और थ्रो बॉल में अपनी प्रतिभा को निखारा। 2017 में पुणे में आयोजित मेयर कप टूर्नामेंट में उन्होंने जैवलिन में ब्रॉन्ज और थ्रो बॉल में गोल्ड मेडल जीता, जिसके बाद उनके करियर की शुरुआत हुई।
2018 में, भाग्यश्री ने कोल्हापुर में स्टेट लेवल चैंपियनशिप में थ्रो बॉल में गोल्ड और नेशनल लेवल पर ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2019 में चीन पैरालंपिक ओपन चैंपियनशिप में उन्होंने दो ब्रॉन्ज मेडल जीते, जो उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और पैरालंपिक की राह भाग्यश्री ने 2021 में फ़ज़ा कप में ब्रॉन्ज मेडल और 2023 में एशियाई पैरा खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2023 में, पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में चौथा स्थान हासिल कर उन्होंने पेरिस पैरालंपिक के लिए क्वालिफाई किया।
अगला लक्ष्य: पैरालंपिक मेडल बिना किसी प्रोफेशनल कोचिंग और सुविधाओं के, भाग्यश्री ने पिछले सात सालों में दो बार भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पैरालंपिक तक का सफर तय किया है। अब उनकी नजरें पैरालंपिक में मेडल जीतने पर हैं।
भाग्यश्री जाधव की कहानी एक प्रेरणा है, जो संघर्ष और समर्पण के बल पर हर बाधा को पार करते हुए अपने सपनों को साकार कर रही हैं।
4o