बालों की सफेदी को अक्सर बुढ़ापे या बुजुर्गियत से जोड़ा जाता है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। आजकल तो कम उम्र के युवाओं के बाल भी सफेद होने लगते हैं। अब कहा जाने लगा है कि तनाव के कारण बाल सफेद हो जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि बालों की सफेदी को तनाव से जोड़ने का कोई तार्किक आधार नहीं है। कुछ अध्ययनों में समय से पहले बालों के सफेद होने का संबंध तनाव से जोड़ा गया है, लेकिन किसी भी अध्ययन में अब तक इसे साबित नहीं किया गया है। उत्तरी कैलिफोर्निया के कैसर परमानेंट वैलेजो मेडिकल सेंटर में त्वचा विशेषज्ञ डॉ. पारादी मिरमीरानी ने कहा, ‘इस संबंध में अब भी बहुत कुछ ऐसा है, जिसके बारे में हम नहीं जानते हैं।’
वर्ष 2021 में मनुष्यों के एक छोटे समूह पर अध्ययन करते हुए शोधकर्ताओं ने 14 स्वयंसेवकों के बालों के नमूने चुने, जिनके बाल कुछ हद तक सफेद हो चुके थे। शोधकर्ताओं ने पाया कि सबसे तनावपूर्ण क्षण में ही लोगों के बाल सफेद हुए।
कलंबिया विश्वविद्यालय में व्यवहार चिकित्सा के एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के लेखक मार्टिन पिकार्ड ने कहा कि यह पहली बार था, जब किसी अध्ययन ने विशिष्ट तनावपूर्ण घटनाओं को बाल सफेद होने से जोड़ा। शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर ऐसे शोध जारी रहते हैं, तो एक दिन ऐसे उपचार सामने आ सकते हैं, जो बालों को फिर से काला कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए अब बड़े मानव समूहों पर शोध की आवश्यकता है। शिकागो विश्वविद्यालय में त्वचाविज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. बारबोसा कहती हैं कि ज्यादातर लोगों के बाल सफेद होने का मुख्य कारण आनुवंशिकी है।
अगर आपके माता-पिता में से किसी के बाल कम उम्र में सफेद हो गए हैं, तो आपके भी बाल सफेद होने की आशंका है। वह कहती हैं कि कुछ चिकित्सीय स्थितियों के कारण भी बाल जल्दी सफेद हो सकते हैं। थायरॉयड का अधिक या कम सक्रिय होना और कीमोथेरेपी के चलते भी बाल जल्दी सफेद हो सकते हैं। आयरन, कैल्शियम, विटामिन बी12 और डी की कमी भी बाल जल्दी सफेद होने के कारण हैं, साथ ही मोटापा और धूम्रपान भी। तो अगली बार अगर आप किसी के बाल असमय सफेद देखें, तो तनाव की बात करके उसे और तनाव न दें।