31 वर्षीय भारतीय रैपर सूरज चेरुकुट, जिन्हें उनके मंच नाम “हनुमानकाइन्ड” से जाना जाता है, और उनके हिट रैप ट्रैक ‘बिग डॉग्स’ ने आजकल दुनिया भर में धूम मचा रखी है। केरल में जन्मे सूरज के इस गीत ने बहुत ही कम समय में ग्लोबल चार्ट्स में अपनी जगह बनाई और यहां तक कि अमेरिकी रैपर केंड्रिक लैमर के ट्रैक ‘नॉट लाइक अस’ को भी पीछे छोड़ दिया है।
‘मौत के कुएं’ में फिल्माए गए ट्रैक ने मचाई धूम
सूरज का ट्रैक ‘बिग डॉग्स’, जिसे “मौत के कुएं” में फिल्माया गया है, रिकॉर्डतोड़ व्यूज हासिल कर चुका है। “मौत का कुआं” एक पारंपरिक भारतीय परफॉर्मेंस है, जिसमें स्टंटमैन एक विशाल लकड़ी के गोलाकार स्ट्रक्चर के भीतर मोटरसाइकिल और कार चलाकर अपनी जान जोखिम में डालते हैं। इस ट्रैक को निर्माता कलमी रेड्डी और निर्देशक बिजॉय शेट्टी के सहयोग से जुलाई में रिलीज़ किया गया था, और अब तक यह स्पॉटिफ़ाई पर 13.2 करोड़ बार सुना जा चुका है, जबकि यूट्यूब पर इसे 8.3 करोड़ व्यूज मिल चुके हैं।
ग्लोबल हिट की वजह और ह्यूस्टन की हिप-हॉप संस्कृति का असर
सूरज का जन्म केरल में हुआ, लेकिन उनका बचपन दुनिया के कई देशों में बीता, जिसमें फ्रांस, नाइजीरिया, मिस्र और दुबई शामिल हैं। ह्यूस्टन और टेक्सास में बिताए गए अपने शुरुआती समय के कारण, सूरज ह्यूस्टन की हिप-हॉप संस्कृति से बहुत प्रभावित रहे। सूरज ने अपनी प्रेरणा टेक्सास के हिप-हॉप महारथियों जैसे डीजे स्क्रू, यूजीके, बिग बनी और प्रोजेक्ट पैट से ली।
सूरज के गीत हिप-हॉप के पारंपरिक टेम्पलेट को फॉलो करते हुए आम जीवन की कठिनाइयों पर केंद्रित होते हैं, जिसमें हार्ड-हिटिंग डायलॉग और भारतीय तबला बीट्स के साथ एक खास शैली का उपयोग किया जाता है।
भारतीय जड़ों से जुड़ने की कोशिश
सूरज के गीत महानगरीय पहचान को छोड़कर भारतीय जड़ों से जुड़ने की उनकी कोशिश को दर्शाते हैं। उनके गीतों में अक्सर दक्षिण भारत के आम लोगों के जीवन के संघर्ष की झलक मिलती है। उनका रैप सॉन्ग ‘चंगेज़’ देश में मौजूद समस्याओं पर तीखा प्रहार करता है।
‘बिग डॉग्स’ भी मुख्यधारा की रैप से बिल्कुल अलग है। जहां अन्य रैप सॉन्ग्स में महंगी कारों और समृद्धि की बात होती है, वहीं सूरज अपने रैप में छोटे शहर के स्टंटमैन की ज़िंदगी को हाईलाइट करते हैं, जो बड़ा जोखिम लेकर ‘मौत के कुएं’ में काम करते हैं।
आलोचना और चुनौतियां
हालांकि, सूरज की आक्रामक रैप शैली ने उनके प्रशंसकों के बीच तारीफें बटोरी हैं, वहीं कुछ लोग उनकी आलोचना भी करते हैं। कुछ का मानना है कि उनके गीत भारतीय ऑडियंस के लिए उतने आकर्षक नहीं हैं, क्योंकि सूरज अंग्रेजी में रैप करते हैं। इसके अलावा, कुछ लोगों का कहना है कि वह पश्चिमी कलाकारों की नकल करते हैं और अपनी भारतीय पहचान को केवल सांकेतिक रूप से इस्तेमाल करते हैं।
“मैं एक भारतीय रैपर नहीं हूं, लेकिन मेरा संबंध भारत से है”
सूरज खुद भी इस द्वंद्व को मानते हैं। वे कहते हैं, “मैं एक भारतीय रैपर नहीं हूं, लेकिन मैं एक रैपर हूं जिसका संबंध भारत से है।” दक्षिण एशियाई रैपर के तौर पर अपनी एक अलग पहचान बनाना उनके लिए सफलता के साथ-साथ एक चुनौती भी है। सूरज का मानना है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए, माहौल के अनुसार तालमेल बिठाना ही उनकी सफलता का रहस्य है।
ग्लोबल मंच पर भारत का नाम
सूरज के रैप ने भारतीयों और दक्षिण एशियाई लोगों को पश्चिमी रैप के मुकाबले एक गंभीर प्लेयर के रूप में उतारा है। दिल्ली के मनोचिकित्सक अर्नब घोष के अनुसार, “सूरज का संगीत केवल भारतीय दर्शकों के लिए नहीं है; यह कहीं का भी और किसी भी देश के लिए हो सकता है। यही उनकी सबसे बड़ी खासियत है।”
हनुमानकाइन्ड के गीत पुरानी हिप-हॉप परंपरा के साथ-साथ समसामयिक सामाजिक हालात पर एक टिप्पणी की तरह हैं, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं।
इस तरह सूरज चेरुकुट, उर्फ़ हनुमानकाइन्ड, ने अपने अनोखे अंदाज़ और सांस्कृतिक मिश्रण के साथ, ग्लोबल हिप-हॉप मंच पर अपनी जगह पक्की कर ली है।