मुख्य बिंदु:
- भारी भीड़: तीन दिन की छुट्टी के चलते बांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।
- प्रबंधन की अपील बेअसर: भीड़ के दिनों में बच्चों और बुजुर्गों को न लाने की अपील के बावजूद लोग मंदिर पहुंच रहे हैं।
- बालक की तबीयत बिगड़ी: भीड़ और उमस के कारण एक बालक की तबीयत बिगड़ गई।
तीन दिन की छुट्टी में बांकेबिहारी मंदिर में बेकाबू भीड़, बालक की तबीयत बिगड़ी
वृंदावन: बारावफात की छुट्टियों के कारण बांकेबिहारी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जिससे हालात बेकाबू हो गए। शनिवार, रविवार, और सोमवार को छुट्टियों के चलते दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और उत्तर प्रदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे। भीड़ इतनी बढ़ गई कि गलियों में पैर रखने की जगह नहीं बची, और मंदिर के अंदर जाने के लिए भक्त उतावले हो रहे थे।
भीड़ और उमस ने बिगाड़ी स्थिति
उमस और भीड़ के कारण कई श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई, जिसमें औरैया से आए एक बालक की हालत गंभीर हो गई। मंदिर प्रबंधन ने बार-बार भीड़ के दिनों में बच्चों, बुजुर्गों, और दिव्यांगों को मंदिर न लाने की अपील की थी, लेकिन श्रद्धालु इस अपील को नजरअंदाज कर मंदिर में पहुंचते रहे।
बाजारों और गलियों में भीड़ का दबाव
मंदिर के आसपास की गलियों और बाजारों में सुबह से ही भीड़ का भारी दबाव था। विद्यापीठ और जुगलघाट के रास्तों पर भक्तों का रेला लगातार बढ़ता रहा। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही मंदिर के पट खुले, भीड़ ने नियंत्रण से बाहर होकर आगे बढ़ने की कोशिश की, जिससे बच्चे और बुजुर्गों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
भीड़ के बीच बच्चों की चीखें
जब बैरिकेड हटाए गए, तो भीड़ के दबाव में बच्चों की चीखें सुनाई दीं, और बुजुर्गों और महिलाओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। स्थिति तब काबू में आई जब दोपहर के समय मंदिर के पट बंद हुए और कुछ श्रद्धालु मंदिर से बाहर निकलने लगे।
प्रबंधन की अपील की अनदेखी
मंदिर प्रबंधन ने पहले से ही भीड़ के दिनों में बच्चों, बुजुर्गों, और बीमार व्यक्तियों को मंदिर न लाने की अपील की थी। बावजूद इसके, श्रद्धालु प्रबंधन की अपील को नजरअंदाज कर भीड़ के साथ मंदिर में पहुंचे, जिससे सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो गईं।