नई दिल्ली: भारतीय नौसेना की ताकत में एक और बड़ा इजाफा होने जा रहा है। नौसेना के बेड़े में आज दूसरी न्यूक्लियर पनडुब्बी INS अरिघात (INS Arighat) को शामिल किया जा रहा है, जिससे हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और भी मजबूत होगी। विशाखापट्टनम के जहाज निर्माण केंद्र पर एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल (ATV) प्रोजेक्ट के तहत निर्मित INS अरिघात की तकनीकी खूबियों को जानकर दुश्मन देश भी थर्रा उठेंगे।
INS अरिघात की विशेषताएं और ताकत
INS अरिघात की लंबाई 111.6 मीटर, चौड़ाई 11 मीटर, और ऊंचाई 9.5 मीटर है। यह पनडुब्बी 6,000 टन वजनी है और अत्याधुनिक मिसाइलों और तकनीकी उपकरणों से लैस है। इसे भारतीय नौसेना के पहले न्यूक्लियर पनडुब्बी INS अरिहंत की तुलना में ज्यादा अपडेटेड और घातक माना जा रहा है।
- के-4 और के-15 मिसाइलों से लैस: INS अरिघात को के-4 मिसाइलों से लैस किया जाएगा, जो 3,000 किलोमीटर तक वार करने की क्षमता रखती हैं। इसके साथ ही, यह के-15 मिसाइलों से भी लैस होगी, जो इसे और भी खतरनाक बनाती हैं।
- तेज रफ्तार और लंबे समय तक पानी के भीतर रहने की क्षमता: न्यूक्लियर रिएक्टर से चलने वाली यह पनडुब्बी सतह पर 22 से 28 किलोमीटर प्रति घंटे और समुद्र की गहराई में 44 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। आम पनडुब्बियों की तुलना में यह महीनों तक पानी के भीतर रह सकती है।
- आठ लॉन्च ट्यूब और विकिरण रोधी सुरक्षा: INS अरिघात में आठ लॉन्च ट्यूब हैं, जो इसे मिसाइल हमलों में अचूक बनाते हैं। इसके अलावा, यह सोनार संचार प्रणाली, समुद्री मिसाइलें और विकिरण रोधी सुरक्षा व्यवस्था से भी लैस है।
चीन के खिलाफ भारत की बढ़ती सामरिक ताकत
हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत की जरूरतों के हिसाब से न्यूक्लियर पनडुब्बियों की संख्या में इजाफा जरूरी है। INS अरिघात इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय नौसेना आने वाले समय में और दो न्यूक्लियर पनडुब्बियों को तैयार करने की योजना बना रही है, जो 2035-36 तक बनकर तैयार हो जाएंगी।
निष्कर्ष
INS अरिघात के नौसेना के बेड़े में शामिल होने के साथ ही भारत की सामरिक शक्ति में एक बड़ा इजाफा होने जा रहा है। यह न्यूक्लियर पनडुब्बी न सिर्फ भारतीय जलक्षेत्र की रक्षा करेगी, बल्कि हिंद महासागर में चीन जैसे देशों के बढ़ते वर्चस्व को भी चुनौती देगी।