ईरान की भूमिका पर सवाल
इसराइल और फ़लस्तीनी ग्रुप हमास के बीच जारी युद्ध ने मध्य-पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है। हालांकि, ईरान ने 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इसराइल पर किए गए हमले में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है, लेकिन इसराइल के खिलाफ़ हमास के अभियान का समर्थन भी नहीं किया है। इसराइल ने हमास के इस हमले को “विनाशकारी भूकंप” जैसा करार दिया है।
हिज़बुल्लाह की प्रतिक्रिया
ग़ज़ा में लड़ाई के बीच, लेबनान के हिज़बुल्लाह ने भी “हमास के समर्थन में” इसराइल के उत्तरी इलाक़ों पर हमले शुरू कर दिए। हमास के 7 अक्टूबर के हमलों के कुछ ही घंटों बाद, हिज़बुल्लाह ने इसराइली क्षेत्र शेबा फार्म्स पर हमला कर दिया। इस हमले के जवाब में, इसराइली सेना ने हिज़बुल्लाह के टेंट्स को निशाना बनाया, जिससे लेबनान में कई नागरिक घायल हुए।
हूती विद्रोहियों का आक्रमण
ग़ज़ा की लड़ाई के एक महीने बाद, यमन के हूती विद्रोहियों ने भी इसराइल के खिलाफ़ लड़ाई में शामिल होने का ऐलान किया। 14 नवंबर को हूती नेता अब्दुल मलिक ने इसराइली जहाजों को निशाना बनाने की घोषणा की। इसके बाद, हूती विद्रोहियों ने लाल सागर और बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य के पास इसराइली जहाजों पर हमले किए, जिससे वैश्विक व्यापार पर व्यापक असर पड़ा।
2023 के दिसंबर में, हूती विद्रोहियों ने दो इसराइली जहाजों पर हमले का दावा किया और एक जहाज को कब्ज़े में ले लिया। जनवरी 2024 में अदन की खाड़ी में ब्रिटिश तेल टैंकर पर हूती मिसाइल हमले के बाद अमेरिका ने यमन में हवाई हमले किए।
मध्य-पूर्व में युद्ध की आहट
ईरान और उसके प्रॉक्सी देशों की एंट्री से इसराइल-हमास संघर्ष अब एक व्यापक क्षेत्रीय संकट की ओर बढ़ता दिख रहा है, जिससे मध्य-पूर्व में युद्ध की आहट और तेज़ हो गई है।