नेतन्याहू सरकार के खिलाफ़ बढ़ते जनाक्रोश के बीच हड़ताल और प्रदर्शन जारी, बंधकों की रिहाई की मांग
संक्षिप्त विवरण
इसराइल में ग़ज़ा की एक सुरंग में छह बंधकों के शव मिलने के बाद भारी विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की सरकार पर हमास के साथ बंधकों की रिहाई के लिए समझौता करने में विफल रहने का आरोप लगाया जा रहा है। देशव्यापी हड़ताल और प्रदर्शनों के कारण कई सेवाएं प्रभावित हैं, जबकि देश के लेबर कोर्ट ने हड़ताल खत्म करने का आदेश दिया है।
बंधकों के शव मिलने के बाद गुस्से में इसराइल
इसराइल में बंधकों की रिहाई को लेकर जनाक्रोश अपने चरम पर है। शनिवार को इसराइल डिफ़ेंस फ़ोर्स (आईडीएफ़) ने ग़ज़ा के दक्षिणी रफाह इलाके में एक सुरंग से छह बंधकों के शव बरामद किए। इस खबर के बाद से ही सड़कों पर जनता का सैलाब उमड़ पड़ा है।
इसराइली सेना के अनुसार, बंधकों को मार दिए जाने से पहले ही सेना उन तक पहुंचने वाली थी। इन घटनाओं के बाद प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की सरकार के खिलाफ़ विरोध तेज़ हो गया है।
देशव्यापी प्रदर्शन और हड़ताल का ऐलान
इस घटना के बाद बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सोमवार को एक आम हड़ताल का ऐलान किया गया। हालांकि, इसराइल के लेबर कोर्ट ने हड़ताल को खत्म करने का आदेश दिया, लेकिन इसके बावजूद आज सुबह से ही पूरे देश में हड़ताल जारी रही। इससे व्यापार, स्कूल, परिवहन, और अन्य सेवाएं ठप पड़ी हुई हैं।
रविवार को तेल अवीव की सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारियों ने उग्र विरोध प्रदर्शन किया। भीड़ ने पुलिस बैरियर तोड़ दिए, टायर जलाए और प्रमुख हाईवे को ब्लॉक कर दिया।
नेतन्याहू सरकार पर जनता का आक्रोश
बंधकों की रिहाई के लिए देशभर में जारी प्रदर्शनों के बीच यरूशलम में हेर्श गोल्डबर्ग-पोलिन की अंतिम यात्रा निकाली गई। इस दौरान शोकाकुल लोगों ने नेतन्याहू सरकार की आलोचना की और कहा, “हमें माफ़ कर दो हेर्श, हम तुम्हें समय पर नहीं निकाल सके।”
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू और उनकी सरकार बंधकों की रिहाई के लिए हमास के साथ समझौता करने में नाकाम रही है। वे मांग कर रहे हैं कि सरकार तुरंत हमास के साथ समझौता करके बाकी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करे।
हड़ताल के असर से देश की सेवाएं ठप
हड़ताल के कारण देश के कई मुख्य मार्गों पर ट्रैफ़िक अवरुद्ध हो गया है। तेल अवीव के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी कुछ उड़ानें रद्द कर दी गईं और कई में देरी हुई। कई अस्पतालों की सेवाएं भी बाधित रहीं और बैंक बंद रहे।
तेल अवीव की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों का गुस्सा साफ देखा जा सकता है। इस हड़ताल का आह्वान इसराइल की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन – हिस्ताद्रुत ने किया था।
सरकार पर दबाव बढ़ा: बंधकों की रिहाई के लिए समझौते की मांग
बंधकों के परिजनों ने भी सरकार पर दबाव बनाने के लिए हड़ताल में हिस्सा लिया। इनका कहना है कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू और उनकी सरकार बंधकों की रिहाई के लिए पर्याप्त क़दम नहीं उठा पा रही है।
शेरोन लिफ्शित्ज़, जिनके माता-पिता को हमास ने बंधक बना लिया था, ने कहा, “बंधकों की जान जोखिम में है। इसराइल सरकार और हमास को समझौते पर पहुंचने के लिए मजबूर होना चाहिए।”
नेतन्याहू की सफाई: “हमास समझौते से बच रहा है”
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने हमास पर आरोप लगाया कि वे बंधकों की हत्या करके किसी भी प्रकार का समझौता नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि हमास ने पिछले कुछ महीनों से वार्ता करने से मना कर रखा है।
नेतन्याहू ने कहा, “बंधकों की हत्या करने वाला कोई समझौता नहीं चाहता है, और इसराइल हमास के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई जारी रखेगा।”
विपक्ष के नेता याएर लैपिड ने आरोप लगाया है कि नेतन्याहू सरकार ने राजनीतिक कारणों से बंधकों को नहीं बचाया।
आगे की स्थिति
इसराइल में बंधकों की रिहाई को लेकर जनता का गुस्सा और प्रदर्शन जारी है। इस घटनाक्रम ने पूरे देश में उथल-पुथल मचा दी है, और सभी की निगाहें अब नेतन्याहू सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।