सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी और बीआरएस नेता के. कविता को दिल्ली के कथित शराब नीति घोटाले में सशर्त ज़मानत दे दी। कविता इस साल मार्च से जेल में थीं, जहां उन्हें पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ़्तार किया और बाद में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भी उन्हें गिरफ्तार किया।
घोटाले में आरोप और जमानत का आदेश
कविता पर दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। सीबीआई और ईडी का दावा है कि वे शराब नीति मामले में कथित रिश्वतों और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को भी ख़ारिज कर दिया था, जिसमें कविता की ज़मानत याचिका को अस्वीकृत कर दिया गया था।
जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने सुनवाई के दौरान ईडी और सीबीआई की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। कोर्ट ने विशेष रूप से इन जांच एजेंसियों द्वारा कुछ अभियुक्तों के प्रति अपनाए गए रवैये की आलोचना की और कहा कि जांच के उद्देश्य से कविता की हिरासत आवश्यक नहीं है क्योंकि मामला अब पूरी तरह से जांचाधीन है और ट्रायल को पूरा होने में काफी समय लगेगा।
सुप्रीम कोर्ट के टिप्पणियाँ और निर्णय
कोर्ट ने कहा, “हमने पाया है कि सीबीआई केस की चार्जशीट फ़ाइल कर चुकी है और ईडी मामले की शिकायत दर्ज कर चुकी है। इस प्रकार, जांच के उद्देश्य से अपीलकर्ता की हिरासत आवश्यक नहीं है। अपीलकर्ता बीते पांच महीनों से जेल में हैं। इस कोर्ट के पूर्व निर्णयों को ध्यान में रखते हुए, हमें लगता है कि किसी अपराध के दोषी ठहराए जाने से पहले लंबे समय तक जेल में रखना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।”
मनीष सिसोदिया की ज़मानत और केस की समानता
के. कविता से पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त को दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी सशर्त ज़मानत दी थी। सिसोदिया को 26 फ़रवरी 2023 को सीबीआई ने और 9 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की ज़मानत देते हुए कहा था कि ट्रायल में देरी के कारण उन्हें ‘असीमित समय’ के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता है क्योंकि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
कविता की ज़मानत और महिलाओं को मिले लाभ
सुप्रीम कोर्ट ने कविता को ज़मानत देते हुए पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) की धारा 45 का भी हवाला दिया, जो महिलाओं को विशेष लाभकारी व्यवहार का अधिकार देती है। कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट की उन टिप्पणियों पर आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया था कि एक शिक्षित महिला को पीएमएलए के तहत लाभकारी प्रावधान नहीं मिल सकते।
झारखंड के मुख्यमंत्री के मामले में टिप्पणियाँ
के. कविता के मामले के समान, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि पीएमएलए के तहत ज़मानत देना नियम है, जबकि जेल भेजना अपवाद है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी व्यक्ति की आज़ादी हमेशा नियम होती है और उसे छीनना अपवाद है।
पीएमएलए और जमानत के प्रावधान
पीएमएलए, 2005 में लागू किया गया एक आपराधिक क़ानून है जिसका उद्देश्य मनी लॉन्ड्रिंग पर रोकथाम करना है। इस कानून के तहत दोषी पाए गए लोगों के खिलाफ जेल की सज़ा और संपत्ति की कुर्की जैसे विभिन्न दंडात्मक कार्रवाइयाँ की जा सकती हैं। पीएमएलए की धारा 45 के तहत ज़मानत तभी दी जाती है जब यह साबित हो कि आरोपी ने अपराध नहीं किया और जमानत पर रहते हुए कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।
सारांश
सुप्रीम कोर्ट द्वारा के. कविता को सशर्त ज़मानत देना और मनीष सिसोदिया के मामले में उठाए गए निर्णय, न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता को उजागर करते हैं। यह निर्णय मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में जमानत के नियमों और न्यायिक प्रक्रिया की दिशा को भी स्पष्ट करता है।