कोच्चि:
केरल के वायनाड जिले में हाल ही में हुए भूस्खलन में 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों लोग बेघर हो गए और कई घायल हुए। इस घटना पर केरल हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, जिसमें इसे “प्रकृति द्वारा मानवीय उदासीनता और लालच” पर प्रतिक्रिया का एक उदाहरण बताया गया है।
भूस्खलन: चेतावनी संकेतों की अनदेखी
हाईकोर्ट ने कहा कि वायनाड भूस्खलन एक चेतावनी संकेत था जो लंबे समय से दिख रहा था, लेकिन मानव विकास के एजेंडे के कारण इसे अनदेखा किया गया। न्यायालय ने इसे मानव द्वारा की गई गलती की प्रतिक्रिया बताया और कहा कि यह हम सभी के लिए एक सबक है।
न्यायालय की चिंताएं
न्यायमूर्ति ए के जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति श्याम कुमार वी एम की पीठ ने 30 जुलाई के भूस्खलन के बाद स्वत: संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर हम अपने तौर-तरीके में सुधार नहीं करते और तुरंत सुधारात्मक कार्रवाई नहीं करते, तो यह संभवतः बहुत देर हो जाएगी।
सरकार की नीतियों पर नजर
कोर्ट ने इस हादसे के मद्देनजर केरल राज्य की मौजूदा नीतियों की समीक्षा करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने कहा कि भूस्खलन में वायनाड के तीन गांव पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं और 119 लोग अभी भी लापता हैं।
आगे की कार्रवाई
कोर्ट ने राज्य सरकार को सतत विकास के लिए अपनी नीतियों पर आत्मनिरीक्षण करने और उन पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, पर्यावरण संरक्षण, और प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम के संबंध में राज्य की मौजूदा नीतियों की समीक्षा की जाएगी।
निष्कर्ष
यह टिप्पणी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने और भविष्य में ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाने की ओर इशारा करती है।