“62 साल की उम्र में मेरे सारे सपने टूट गए हैं. हम दोषी के लिए सख़्त से सख़्त सज़ा चाहते हैं,” यह दर्दनाक शब्द उस पिता के हैं, जिनकी बेटी के साथ कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई भयावह घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 31 साल की डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पीड़िता का परिवार: टूटे हुए सपने और असहनीय दर्द
कोलकाता के इस डॉक्टर के पिता ने अपने घर में बीबीसी से बात करते हुए अपनी टूटती उम्मीदों और जीवनभर के दुख का ज़िक्र किया। बेटी की इस ख़ौफ़नाक हत्या के बाद उनका साधारण सा घर मीडिया कैमरों और सुरक्षा अधिकारियों से घिर गया है।
“हमारा राज्य, हमारा देश और यहां तक कि पूरी दुनिया इंसाफ़ मांग रही है,” पीड़िता के पिता ने यह कहते हुए न्याय की गुहार लगाई। नौ अगस्त की रात को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में इस डॉक्टर के साथ जो हुआ, वह हर माता-पिता के लिए किसी भी भयावह सपने से कम नहीं था। घटना से कुछ देर पहले, डॉक्टर ने अपनी मां से फ़ोन पर बात की थी, और वह आखिरी बार था जब उनकी आवाज़ सुनी गई।
पीड़िता के पिता ने कहा, “वो हमेशा इस बात का ध्यान रखती थी कि मैं अपनी दवाएं वक़्त पर लूं।” बेटी की चिंता और देखभाल की यादें उनके लिए अब सिर्फ़ दुखभरे किस्से बन गए हैं।
महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल: कानून की सख्ती और हकीकत
कोलकाता में इस रेप और मर्डर की घटना ने 2012 के दिल्ली गैंग रेप की यादें ताज़ा कर दीं, जिसने देश में यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ कानून को सख्त किया था। लेकिन बावजूद इसके, महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
स्वास्थ्यकर्मियों और समाज की मांग है कि ऐसी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई हो और कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कठोर कानून बनाए जाएं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी डॉक्टरों को आश्वासन दिया है कि कार्यस्थलों पर बेहतर सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। नेशनल मेडिकल कमिशन ने इस संबंध में सभी मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों को एडवाइजरी जारी की है।
परिवार की टूटी हुई उम्मीदें और सामाजिक समर्थन
पीड़िता का परिवार अब भी सदमे में है। उनके पिता कहते हैं, “अस्पताल ही वो जगह थी, जहां ड्यूटी पर मेरी बेटी के साथ इतनी क्रूर हरकत की गई।” यह परिवार अब न्याय के इंतजार में है और समाज से मिलने वाले समर्थन के भरोसे खड़ा है।
घर के बाहर मीडिया और पुलिस का जमावड़ा है, जो परिवार की दर्दनाक स्थिति को और भी मुश्किल बना रहा है।
एक पिता का दर्द और समाज का सवाल
पिता के कंधों पर मजबूती बनाए रखने का भार है। उनकी इकलौती बेटी, जिसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर संघर्ष का सामना किया, अब उनके जीवन में केवल यादें बनकर रह गई है।
“लोग कहते थे कि आप अपनी बेटी को डॉक्टर नहीं बना सकते। लेकिन मेरी बेटी ने सबको ग़लत साबित किया,” पिता के ये शब्द उनकी बेटी की सफलता और समाज के लिए एक संदेश हैं कि संघर्ष और मेहनत से सबकुछ हासिल किया जा सकता है।
मां के लिए, उनकी बेटी की यादें और उसके साथ बिताए गए पल ही अब एकमात्र सहारा हैं। उनकी बेटी की डायरी, जिसमें उसने अपने सपनों और लक्ष्यों का ज़िक्र किया था, अब सिर्फ़ उनकी यादों का हिस्सा बन गई है।
न्याय की उम्मीद और कानून की सख्ती की मांग
यह घटना केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है कि वह ऐसी घटनाओं के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाए और सुनिश्चित करे कि महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें।
देशभर में उठ रहे विरोध प्रदर्शनों और ‘रिक्लेम द नाइट’ मार्च के माध्यम से समाज ने यह संदेश दिया है कि महिलाओं की सुरक्षा कोई समझौता नहीं, बल्कि एक अनिवार्य अधिकार है।