जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एमपॉक्स (पूर्व में मंकीपॉक्स) को लेकर वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की, तो दुनिया भर में एक सवाल उठने लगा: क्या एमपॉक्स नया कोरोना है?
वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस सवाल का सीधा जवाब देते हैं—नहीं, एमपॉक्स कोरोना नहीं है। हालांकि, लोगों की चिंताएं स्वाभाविक हैं।
WHO यूरोप के क्षेत्रीय निदेशक, डॉ. हान्स क्लूगे, का कहना है, “एमपॉक्स नया कोरोना नहीं है। आम जनसंख्या के लिए इसका जोखिम कम है।”
डॉ. क्लूगे के अनुसार, “हमें पता है कि एमपॉक्स को कैसे काबू करना है। यूरोप में इस संक्रमण को रोकने के उपाय हमारे पास हैं।”
हालांकि, कोरोना और एमपॉक्स दोनों ही वायरस से होने वाली बीमारियां हैं, लेकिन इन दोनों के लक्षण और फैलने का तरीका काफी अलग है।
आइए जानते हैं पांच महत्वपूर्ण अंतर, जो एमपॉक्स को कोरोना से अलग बनाते हैं:
1. एमपॉक्स: कोई नया वायरस नहीं
एमपॉक्स, कोरोना की तरह कोई नया वायरस नहीं है।
1958 में सबसे पहले यह वायरस डेनमार्क के बंदरों में पाया गया था, जिसके बाद इसे ‘मंकीपॉक्स’ के नाम से जाना जाने लगा। इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में डीआर कॉन्गो में सामने आया था।
एमपॉक्स के खिलाफ 2022 में वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की गई, और यह वायरस अब तक 70 से अधिक देशों में फैल चुका है।
इसके विपरीत, कोरोना वायरस का पहला मामला 2019 में चीन के वुहान में सामने आया और यह जल्दी ही एक वैश्विक महामारी बन गया।
2. एमपॉक्स: कम संक्रामक है
एमपॉक्स, कोरोना की तरह आसानी से नहीं फैलता।
जहां कोरोना वायरस हवा के माध्यम से तेज़ी से फैलता है, वहीं एमपॉक्स संक्रमित व्यक्ति के करीबी संपर्क, त्वचा के संपर्क, या शारीरिक संबंध से फैलता है।
कोरोना के लक्षण—बुखार, सर्दी, और गले में खराश—थे, जबकि एमपॉक्स के लक्षण—बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, गले में सूजन, और चकत्ते—हैं।
3. एमपॉक्स के लिए पहले से उपलब्ध है वैक्सीन
एमपॉक्स के लिए वैक्सीन पहले से ही मौजूद है, जबकि कोरोना के लिए वैक्सीन बनाना, परीक्षण करना, और फिर इसे मंजूरी दिलाना एक बड़ी चुनौती थी।
स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन, जिसे 1980 में विकसित किया गया था, एमपॉक्स से भी बचाव कर रही है। एमपॉक्स की वैक्सीन ‘MVA-BN’ के नाम से जानी जाती है और इसे 76 देशों में भेजा जा चुका है।
4. एमपॉक्स तेजी से रूप नहीं बदलता
एमपॉक्स, कोरोना की तरह तेज़ी से अपना रूप नहीं बदलता।
एमपॉक्स डीएनए वायरस से होता है, जबकि कोरोना आरएनए वायरस से। डीएनए वायरस आरएनए वायरस की तुलना में कम म्यूटेशन (रूपांतरण) करते हैं। एमपॉक्स के दो स्ट्रेन—क्लेड 1 और क्लेड 2—हैं, जबकि सार्स-कोव2 वायरस के 20 से अधिक स्ट्रेन हैं।
5. लॉकडाउन और पाबंदियों की आवश्यकता नहीं
एमपॉक्स को लेकर लॉकडाउन या अन्य कठोर प्रतिबंधों की जरूरत नहीं है।
अफ्रीका के 16 देशों में एमपॉक्स फैलने के बावजूद, अफ्रीका CDC ने किसी भी प्रकार की आवाजाही या माल के आवागमन पर रोक लगाने की सलाह नहीं दी है।
WHO के आपातकालीन कार्यक्रमों के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, डॉ. माइक रियान, का कहना है कि एमपॉक्स एक ऐसा वायरस है जिसे सही समय पर सही कदम उठाकर नियंत्रित किया जा सकता है।
निष्कर्ष:
एमपॉक्स कोरोना जैसा नहीं है, और न ही यह उसी तरह की महामारी बनेगा। सावधानियों और वैक्सीन के सहारे, इसे काबू में रखा जा सकता है। इसलिए, डरने की बजाय सतर्क रहें और समय पर सही जानकारी प्राप्त करें।