मुख्य बिंदु:
- प्राकृतिक आपदा का कहर: तीन मंजिला मकान गिरने से 11 लोगों की दर्दनाक मौत।
- गर्भवती महिला और बच्चे की मौत: सात माह की गर्भवती फरहाना और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी जान चली गई।
- 16 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन: प्रशासन ने मलबे से लोगों को निकालने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात कीं।
- सरकारी सहायता: मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा।
घटना का विवरण
मेरठ की जाकिर कॉलोनी में शनिवार शाम एक तीन मंजिला मकान गिरने से 11 लोगों की जान चली गई। हादसे में नफ्फो उर्फ नफीसा (65), उसके तीन बेटे, बहुएं, और उनके बच्चे दब गए। फरहाना, जो सात महीने की गर्भवती थी, और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई। फरहाना की मौत इस हादसे की 11वीं मौत मानी जा रही है।
परिवार की खुशियां मातम में बदलीं
फरहाना और उसका परिवार जल्द ही बच्चे के स्वागत की तैयारी कर रहे थे, लेकिन इस हादसे ने परिवार की खुशियों को मातम में बदल दिया। मलबे में दबे लोगों को 16 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाहर निकाला गया।
मलबे में जंग लड़ती ममता
हादसे के दौरान एक दृश्य ने सभी को झकझोर दिया, जब नईम की पत्नी अलीशा अपनी छह माह की बेटी रिमशा को आगोश में लिए मलबे में मृत मिली। मां-बेटी दोनों की जान चली गई, लेकिन अलीशा ने आखिरी सांस तक अपनी बेटी को बचाने की कोशिश की।
बचाव कार्य और सरकारी सहायता
हादसे के बाद एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने मौके पर पहुंचकर 16 घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। जिलाधिकारी दीपक मीणा ने मृतकों के परिवारों को 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है।
मृतकों का अंतिम संस्कार
हादसे में मारे गए 11 लोगों का अंतिम संस्कार रविवार को किया गया। कॉलोनी में मातम का माहौल है और सभी दुकानें बंद रहीं।
निष्कर्ष
इस दर्दनाक हादसे ने कई परिवारों को उजाड़ दिया और एक गर्भवती महिला और उसके बच्चे की जान भी चली गई। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को सहायता देने का वादा किया है, लेकिन इस घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।