संसदीय संशोधनों और आम सहमति बनाने में सरकार के सामने कठिनाइयाँ
मोदी सरकार द्वारा ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र-एक चुनाव) की दिशा में कदम बढ़ाने के बाद चुनौतियों का सामना करना तय है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद, 2029 तक पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने का लक्ष्य है। हालांकि, इसे अमल में लाने के लिए सरकार को कई संवैधानिक संशोधन और राजनीतिक सहमति बनाने की आवश्यकता होगी।
संवैधानिक संशोधनों की चुनौती
कोविंद समिति ने 18 संवैधानिक संशोधन प्रस्तावित किए हैं, जिनमें से अधिकांश के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। लोकसभा में मौजूदा एनडीए गठबंधन को पर्याप्त समर्थन जुटाने के बावजूद, इस मुद्दे पर विपक्षी दलों से सहमति प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण होगा। खासकर जब कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बसपा और माकपा समेत 15 राजनीतिक दल इस योजना का विरोध कर रहे हैं।
राज्य विधानसभाओं की सहमति जरूरी
कुछ संवैधानिक संशोधनों के लिए राज्य विधानसभाओं से अनुमोदन जरूरी होगा। जैसे कि एक मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र से संबंधित संशोधन के लिए आधे से ज्यादा राज्यों की सहमति चाहिए। स्थानीय निकाय चुनाव से संबंधित संशोधन पर भी राज्यों की मंजूरी जरूरी है। भाजपा के पास एक दर्जन से अधिक राज्यों में सरकार है, लेकिन कुछ प्रमुख राज्यों में चुनाव परिणाम अहम भूमिका निभा सकते हैं।
समय से पहले या देरी से चुनाव की समस्या
राज्य विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। इस वजह से, कुछ राज्यों में समय से पहले और कुछ में देरी से चुनाव कराने की चुनौती होगी। इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को व्यापक रणनीति बनानी होगी।
विपक्षी दलों को साधने की चुनौती
सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस मुद्दे पर विपक्षी दलों को साथ लेकर चलने की होगी। आम सहमति बनाने के लिए सरकार संसदीय समितियों में विपक्षी दलों को शामिल कर उनके साथ चर्चा कर सकती है। इससे एक सकारात्मक दिशा में संवाद स्थापित हो सकता है।
कार्यान्वयन और दो चरणों में चुनाव
वन नेशन-वन इलेक्शन को दो चरणों में लागू करने का सुझाव दिया गया है। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, जबकि दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव होंगे। इसके लिए एक कार्यान्वयन समूह का गठन भी होगा, जो देशभर में विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा करेगा।
निष्कर्ष
मोदी सरकार के लिए ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लागू करना एक कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है। संवैधानिक संशोधन, विपक्षी दलों की सहमति और राज्यों की विधानसभाओं के साथ मिलकर काम करना सरकार की बड़ी प्राथमिकताएँ होंगी।