मुख्य बिंदु:
- चंदन तस्करी का बड़ा मामला: दिल्ली से 8 सितंबर को चला चंदन लदा ट्रक गोरखपुर में 48 घंटे तक खड़ा रहा।
- फर्जी ई-वे बिल: तस्करों ने फर्जी ई-वे बिल तैयार कर ट्रक से चंदन की लकड़ी को नेपाल भेजने की साजिश रची।
- कस्टम की जांच में खुलासा: ट्रक की हर लोकेशन पर नजर रखते हुए कस्टम ने बड़ी कार्रवाई की।
- GST विभाग की लापरवाही: पूरे रास्ते ट्रक को किसी भी जिले में नहीं रोका गया, जिससे तस्करी का धंधा बेरोकटोक चलता रहा।
चंदन तस्करी की साजिश
दिल्ली से 8 सितंबर को निकला एक ट्रक, जिसमें अवैध चंदन की लकड़ी लदी थी, गोरखपुर में 48 घंटे तक खड़ा रहा। तस्करों ने नेपाल बॉर्डर तक इस लकड़ी को भेजने की योजना बनाई थी। सूत्रों के अनुसार, ट्रक में लकड़ी छिपाने के लिए नौतनवां में एक कैविटी (गुप्त छत) तैयार की गई थी, ताकि सीमा पर चेकिंग से बचा जा सके। कैविटी तैयार होने के बाद ट्रक महराजगंज के नौतनवां तक पहुंचा।
फर्जी ई-वे बिल और कस्टम की सख्ती
तस्करों ने चंदन की तस्करी को छिपाने के लिए फर्जी ई-वे बिल तैयार किया था। हालांकि कस्टम टीम ने ट्रक नंबर और ई-वे बिल की जानकारी पहले ही हासिल कर ली थी। दिल्ली से ट्रक के आगे बढ़ते ही कस्टम को हर टोल प्लाजा से उसकी लोकेशन मिलती रही। 9 सितंबर को बस्ती टोल प्लाजा से ट्रक निकला और गोरखपुर पहुंचने के बाद लापता हो गया। कस्टम की टीम ने ट्रक की हर गतिविधि पर नजर रखी और आखिरकार 11 सितंबर की रात को इसे महराजगंज में पकड़ा गया।
चीन में चंदन की मांग और तस्करों का बड़ा नेटवर्क
चंदन की लकड़ी भारत में 10-12 लाख रुपये प्रति क्विंटल बिकती है, लेकिन चीन में इसकी कीमत 35 लाख रुपये प्रति क्विंटल तक होती है। चीन में इस लकड़ी का धार्मिक महत्व होने के कारण इसकी तस्करी बड़े पैमाने पर की जाती है। यह लकड़ी भारत से नेपाल होते हुए तातोपानी के रास्ते चीन भेजी जाती है।
GST विभाग की लापरवाही
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली से गोरखपुर तक यात्रा करने वाले इस ट्रक को किसी भी जिले में क्यों नहीं रोका गया। अगर GST विभाग द्वारा ई-वे बिल की जांच की गई होती, तो इस तस्करी को पहले ही रोका जा सकता था। कस्टम टीम ने इस लापरवाही की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी है और अब इस पर कार्रवाई की संभावना है।
निष्कर्ष
चंदन तस्करी का यह मामला ट्रांसपोर्टरों और स्थानीय धंधेबाजों की मिलीभगत का संकेत देता है। कस्टम और GST विभाग की सख्ती के बावजूद तस्करी के ऐसे मामलों से निपटने के लिए और मजबूत कदम उठाने की जरूरत है।