अपराधियों के घरों पर बुलडोज़र चलाने को लेकर सख्त हुई सुप्रीम कोर्ट, राज्यों को दिए नए दिशा-निर्देश सुझाने के निर्देश
संक्षिप्त विवरण
देश के कई हिस्सों में अभियुक्तों के घरों पर की जा रही बुलडोज़र कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा है कि किसी का घर सिर्फ़ इसलिए नहीं ढहाया जा सकता क्योंकि वह अभियुक्त है। सुप्रीम कोर्ट जल्द ही ऐसे मामलों के लिए दिशा-निर्देश तैयार करेगा ताकि कानूनी प्रक्रिया का पालन हो सके। उत्तर प्रदेश सरकार ने जवाब में कहा कि कार्रवाई अपराध के आधार पर नहीं, बल्कि नोटिस के अनुसार की गई है। मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: “अभियुक्त होना पर्याप्त कारण नहीं”
देश के कई राज्यों में हाल के दिनों में अभियुक्तों के घरों पर बुलडोज़र चलाने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गंभीर सवाल उठाए। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की पीठ ने कहा, “किसी का घर केवल इसलिए नहीं ढहाया जा सकता कि वह किसी अपराध का अभियुक्त है।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अदालत जल्द ही दिशानिर्देश तय करेगी, जिससे किसी भी संपत्ति को ध्वस्त करने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित किया जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार का पक्ष: “कार्रवाई का अपराध से कोई संबंध नहीं”
यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सफाई देते हुए कहा कि किसी भी इमारत को ढहाने की कार्रवाई इसलिए नहीं की गई क्योंकि वह अभियुक्त था। उन्होंने बताया कि नोटिस पहले ही जारी कर दिए गए थे और ढहाने की प्रक्रिया एक स्वतंत्र मामला है।
याचिकाकर्ताओं के वकील दुष्यंत दवे और सीयू सिंह ने विरोध जताते हुए कहा कि कार्रवाई केवल अभियुक्त होने के आधार पर की गई है।
सुप्रीम कोर्ट बनाएगा दिशानिर्देश
बेंच ने साफ़ कहा है कि, “हम पूरे देश के लिए दिशानिर्देश तय करेंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी भी अनाधिकृत निर्माण को संरक्षण देंगे।” कोर्ट ने दोनों पक्षों से सुझाव मांगे हैं, और अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: क्या बोले राजनेता और वकील?
इस मामले पर कई राजनीतिक बयान भी सामने आए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, “अन्याय के बुलडोज़र से बड़ा होता है, न्याय का तराज़ू।” वहीं, राहुल गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के रुख की तारीफ करते हुए इसे स्वागत योग्य कदम बताया और भाजपा पर तीखा हमला बोला। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस कदम की सराहना की।
इस फैसले से जुड़े सभी पक्षों को अब कोर्ट के सामने अपने सुझाव रखने होंगे, ताकि किसी भी प्रकार की ‘बुलडोज़र कार्रवाई’ के दौरान कानूनी प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित हो सके।