मुख्य बिंदु: शराब घोटाले मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दी है। जस्टिस उज्ज्वल भुइंया और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए और टिप्पणी की कि सीबीआई को ‘पिंजरे में बंद तोते’ की धारणा से बाहर आना चाहिए।
केजरीवाल को मिली जमानत, जजों ने दी अहम टिप्पणियाँ
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले के मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। जस्टिस उज्ज्वल भुइंया और जस्टिस सूर्यकांत की दो सदस्यीय बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए 5 सितंबर को फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे अब सुनाया गया।
सीबीआई की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी
सुनवाई के दौरान जस्टिस उज्ज्वल भुइंया ने सीबीआई की गिरफ्तारी प्रक्रिया और उसकी स्वतंत्रता पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह धारणा बदलनी चाहिए कि सीबीआई ‘पिंजरे में बंद तोता’ है। जस्टिस भुइंया ने सीबीआई की गिरफ्तारी के समय पर भी सवाल उठाए।
स्वतंत्रता और न्यायिक प्रक्रिया का महत्व
जस्टिस सूर्यकांत ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया के विभिन्न अंगों की स्वतंत्रता महत्वपूर्ण है और सभी संस्थाओं को अपनी स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।
केजरीवाल के लिए शर्तें
जमानत देते समय कोर्ट ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गवाहों से संपर्क नहीं कर सकते हैं।
निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत देते हुए सीबीआई की कार्यप्रणाली पर कड़ी टिप्पणी की है। यह टिप्पणी न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता की दिशा में एक महत्वपूर्ण संदेश है।