प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान यूएसए ने भारत से चुराई गई या तस्करी की गई 297 प्राचीन वस्तुएं औपचारिक रूप से सौंप दी हैं। अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने इसे सांस्कृतिक विरासत की “रक्षा और संरक्षण” के लिए दोनों देशों के बीच “साझा प्रतिबद्धता” का एक और उदाहरण बताया।
एरिक गार्सेटी ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा और संरक्षण के लिए अमेरिका-भारत की साझा प्रतिबद्धता का एक उदाहरण है। उन्होंने आगे लिखा कि, इन 297 पुरावशेषों की वापसी, अमेरिका और भारत के बीच जुलाई में हुए पहले ‘सांस्कृतिक संपदा समझौते’ के बाद एक और ठोस कदम है। जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक विरासत की अवैध तस्करी को रोकना है।
इससे पहले रविवार को प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, सांस्कृतिक जुड़ाव को गहराते और सांस्कृतिक संपत्तियों की अवैध तस्करी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करते हुए। मैं भारत को 297 अमूल्य कलाकृतियां लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन और अमेरिकी सरकार का अत्यधिक आभारी हूं।
मोदी ने इन कलाकृतियों को लौटाने के लिए राष्ट्रपति जो बाइडन को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ये वस्तुएं न केवल भारत की ऐतिहासिक संस्कृति का हिस्सा हैं बल्कि इसकी सभ्यता और चेतना का आंतरिक आधार भी हैं। अधिकारियों ने बताया कि इसके साथ ही भारत द्वारा 2014 से अब तक बरामद प्राचीन वस्तुओं की कुल संख्या 640 हो गयी हैं। अकेले अमेरिका ने 578 वस्तुएं लौटायी हैं। यह किसी देश द्वारा भारत को लौटायी गयी सबसे अधिक सांस्कृतिक कलाकृतियां हैं।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्यरत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और अमेरिकी विदेश विभाग के शैक्षिक एवं सांस्कृतिक मामलों के ब्यूरो ने दोनों देशों के बीच घनिष्ठ द्विपक्षीय संबंधों को बनाए रखने तथा बेहतर सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जुलाई, 2024 में एक सांस्कृतिक संपदा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
सौंपी गई कुछ उल्लेखनीय पुरावशेष वस्तुओं की लिस्ट:
- दक्षिण भारत से प्राप्त कांस्य के बने भगवान गणेश, 17-18वीं शताब्दी ई. के
- 2000-1800 ईसा पूर्व से संबंधित उत्तर भारत से तांबे में तैयार मानवरूपी आकृति
- दक्षिण भारत से प्राप्त भगवान कृष्ण की कांस्य मूर्ति 17-18वीं शताब्दी की प्रतिमा है
- दक्षिण भारत से प्राप्त ग्रेनाइट में निर्मित भगवान कार्तिकेय की 13-14वीं शताब्दी की मूर्ति
- दक्षिण भारत की पत्थर की मूर्ति पहली शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईसवी तक की है
- उत्तर भारत से प्राप्त बलुआ पत्थर से बनी भगवान बुद्ध की खड़ी प्रतिमा, जो 15-16वीं शताब्दी की है
- पूर्वी भारत से प्राप्त भगवान विष्णु की कांस्य प्रतिमा 17-18वीं शताब्दी ई. की है
- पूर्वी भारत से प्राप्त तीसरी-चौथी शताब्दी का बना टेराकोटा फूलदान
- मध्य भारत से प्राप्त बलुआ पत्थर की 10-11वीं शताब्दी ई. की अप्सरा की मूर्ति
- मध्य भारत से मिली कांस्य की बनी जैन तीर्थंकर की 15-16वीं शताब्दी की प्रतिमा