संक्षिप्त जानकारी:
केंद्र सरकार ने लंबे समय से चली आ रही पेंशन सुधार की मांगों के बीच यूनिफ़ाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को मंजूरी दे दी है। यह योजना 1 अप्रैल 2024 से लागू होगी और इसका लाभ केंद्र सरकार के 23 लाख कर्मचारियों को मिलेगा। यह योजना न्यू पेंशन सिस्टम (एनपीएस) और ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) के बीच का एक मध्य मार्ग है।
यूपीएस, एनपीएस और ओपीएस में अंतर:
साल 2004 में जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) की जगह न्यू पेंशन सिस्टम (एनपीएस) को लागू किया, तो इसमें निश्चित पेंशन की गारंटी को हटा दिया गया। एनपीएस में कर्मचारियों और सरकार दोनों को 10 प्रतिशत का अंशदान करना अनिवार्य किया गया, जिसे 2019 में बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया गया।
नए प्रावधान के अनुसार, रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी अपनी कुल जमा राशि का 60 प्रतिशत निकाल सकते हैं, जबकि शेष 40 प्रतिशत को पेंशन फंड मैनेजर्स की विभिन्न योजनाओं में निवेश करना अनिवार्य है। इन योजनाओं में जोखिम के आधार पर चुनाव किया जा सकता है।
हालांकि, सरकारी कर्मचारी यूनियनों का कहना है कि एनपीएस को लागू करते समय इसे ओपीएस से बेहतर बताया गया था, लेकिन 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों को अब बहुत मामूली पेंशन मिल रही है। इसके अलावा, उन्हें अपना अंशदान भी देना पड़ रहा है, जबकि ओपीएस में पूरी पेंशन सरकार की ओर से मुहैया कराई जाती थी।
यूपीएस में क्या है नया:
यूनिफ़ाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) एक नया पेंशन मॉडल है जो एनपीएस और ओपीएस के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है। हालांकि, यूनियनों ने यह चिंता जताई है कि इस योजना में कर्मचारियों के अंशदान को निकालने के संबंध में स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि:
बीते कुछ सालों से सरकारी कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली की मांग करते रहे हैं। कुछ विपक्ष शासित राज्यों ने भी इस मांग को लेकर ओपीएस को बहाल किया है, जिनमें राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, और पंजाब शामिल हैं। आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए, केंद्र सरकार का यह फैसला महत्वपूर्ण हो सकता है।