लैटरल एंट्री स्कीम में आरक्षण का सवाल
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने लैटरल एंट्री स्कीम के तहत संयुक्त सचिव (ज्वाइंट सेक्रेटरी) और निदेशक (डायरेक्टर) के पदों के लिए वैकेंसी की घोषणा की है, जिसे सीधी भर्ती के तहत भरा जाएगा। इस फैसले को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर आरक्षण के अधिकार के हनन का आरोप लगाया है।
कांग्रेस का आरक्षण पर हमला का आरोप
कांग्रेस ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। पार्टी का आरोप है कि इस भर्ती प्रक्रिया में ओबीसी, एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस वर्गों के लिए आरक्षण नहीं दिया गया है। कांग्रेस ने इसे संवैधानिक अधिकारों पर हमला करार दिया है और कहा है कि सरकार जानबूझकर इन वर्गों को सरकारी नौकरियों से वंचित रखना चाहती है।
तेजस्वी यादव और मायावती का विरोध
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस मामले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह संविधान और आरक्षण के साथ मोदी सरकार द्वारा किया गया एक घिनौना मजाक है। वहीं, यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इस फैसले को निचले स्तर के कर्मचारियों के लिए पदोन्नति के अवसरों को छीनने वाला बताया है। उन्होंने इसे असंवैधानिक और गलत कदम करार दिया है।
सरकार को विपक्ष का घेराव
विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि यह फैसला न केवल आरक्षण अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह संविधान पर भी सीधा हमला है। विपक्ष ने इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है और इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया है।